जय श्री राधे
आप सभी को एक बार फिर से स्नेह और राधे राधे
तथा आप को बता दू कि जो कुछ व्यवहार मनुष्य करता है परदे के सामने वह कैसे करता है यह बहुत ही गंभीर
समस्या हमारे समाज के लिए बनती जा रही है|
मै कहता हूँ कि इस संसार में कुछ भी करले लेकिन आखिर कर जाना तो सब छोड़ कर ही है न
तो क्यों इतनी भागेदारी समझाना चाहिए |
हमें सब से कम साधन के साथ जिवें यापन करना चाहिए और प्रयत्न करके मन कि सभी कारको से बचना
चाहिए | क्यूंकि श्री रामचरित मानस में कुछ एक दोहा है जो मानस के विभिन्न रोग का वर्णन करती है |
जो मै आप को विस्तृत रूप में बताऊंगा |
धन्यवाद