Friday, 19 August 2011

पुराण क्या है ?


परोपकाराय पुण्याय पापाय पर पीड़नम्। अष्टादश पुराणानि व्यासस्य वचन।।
अर्थात्, व्यास मुनि ने अठारह पुराणों में दो ही बातें मुख्यत: कही हैं, परोपकार करना संसार का सबसे बड़ा पुण्य है और किसी को पीड़ा पहुँचाना सबसे बड़ा पाप है। जहाँ तक शिव पुराण का संबंध है, इसमें भगवान् शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान किया गया है। शिव- जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं। सभी पुराणों में शिव पुराण को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। इसमें भगवान् शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है।

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